नया साल और ठंड
नया साल और ठंड
आज नए साल का दूसरा दिन है। ठंड काफी बढ़ गई है। ठंड के वजह से लोग अपने घरों में दुबके पड़े हुए हैं। कोरोना का भी प्रकोप धीरे-धीरे बढ़ रहा है। ऐसा लग रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है। आज मैं कंप्यूटर पर अपने कुछ कार्यों में व्यस्त रहा। कुछ विशेष कार्य नहीं हो सका। आज भी लोगों के शुभकामनाएं प्राप्त हुए।
आज पटना में ठंड का तापमान गिरकर 11 डिग्री तक पहुंच गया है। मुझे बचपन में पढ़ी हुई ठंड पर एक कविता याद आ रही है। जो इस प्रकार हैं-
किट किट दांत बजाने वाली,
आई सर्दी आई।
भाग गये सब पतले चादर,
निकली लाल रजाई।
दादा, दादी, नाना, नानी,
सब सर्दी से डरते।
धूप सेंकते, आग तापते,
फिर भी रोज ठिठुरते।
धन्यवाद।
Translation-
Today is the second day of the new year. It's been quite cold. Due to the cold, people are lying in their homes. The outbreak of Corona is also increasing slowly. Looks like the third wave of Corona is about to come. Today I was busy with some of my work on the computer. Nothing special could be done. Even today people's wishes were received.
Today the freezing temperature in Patna has reached 11 degrees. I am reminded of a poem on the cold I had in my childhood. Which are as follows-
किट किट दांत बजाने वाली,
आई सर्दी आई।
भाग गये सब पतले चादर,
निकली लाल रजाई।
दादा, दादी, नाना, नानी,
सब सर्दी से डरते।
धूप सेंकते, आग तापते,
फिर भी रोज ठिठुरते।
Thank you.
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